पी.एस.एल.वी.-सी44 द्वारा माइक्रोसैट-आर. एवं कलामसैट-वी.2 सफलतापूर्वक प्रमोचित
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भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचक राकेट (पी.एस.एल.वी.-सी44) ने माइक्रोसैट-आर. तथा कलामसैट-वी.2 को सफलतापूर्वक उनकी निर्धारित कक्षा में अंत:क्षेपित किया ।

पी.एस.एल.वी.-सी44 ने 24 जनवरी, 2019 को 23:37 बजे (भा.मा.स.) सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार, श्रीहरिकोटा के प्रथम प्रमोचन पैड से अपनी 46वीं उड़ान भरी ।

उड़ान भरने के 13 मिनट 26 सेकेंड बाद, माईक्रोसैट-आर. को 274 कि.मी. की निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक अंत:क्षेपित किया गया । अंत:क्षेपण के बाद, उपग्रह के दो सौर व्‍यूह स्‍वत: प्रस्‍तरित हो गए और बेंगलूर स्थित इसरो दूरमिति, अनुवर्तन एवं आदेश संचार-जाल ने उपग्रह का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया ।

तदुपरांत, राकेट के चतुर्थ चरण को दो बार पुन:-प्रारंभ करने के पश्‍चात्, उसे, परीक्षण आयोजित करने हेतु कक्षीय नीतभार स्‍थापित करने के लिए 453 कि.मी. की उच्‍चतर वृत्‍तीय कक्षा में भेजा गया। विद्यार्थी उपग्रह, कलामसैट-वी.2, जो पी.एस.4 को कक्षीय प्‍लैटफार्म के रूप में उपयोग करने वाला पहला उपग्रह है, को, उड़ान भरने के एक घण्‍टे 40 मिनट बाद, उसकी निर्धारित कक्षा में ले जाया गया ।

यह उड़ान पी.एस.एल.वी.-डी.एल., दो स्‍ट्रैप-ऑन मोटरों वाले पी.एस.एल.वी. के नए रूपांतर का पहला मिशन था ।

29 नवंबर को पिछले प्रमोचन में, पी.एस.एल.वी.-सी43 ने भारत के हाईसिस और 30 ग्राहक उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रमोचित किया था ।

प्रमोचन के बाद, अपने भाषण में, अध्‍यक्ष डॉ. कै.शिवन ने कहा कि पी.एस.एल.वी.-सी44 मिशन अलग था क्‍योंकि इसरो ने पहली बार राकेट के अंतिम चरण का, अंतरिक्ष में परीक्षण आयोजित करने हेतु मंच के रूप में उपयोग किया ।

उन्‍होंने कहा, “ मुझे आशा है कि विद्यार्थी समुदाय इसरो द्वारा दिए गए इस अवसर का उपयोग करेगा। यह नई कम लागत वाली प्रौद्योगिकी विद्यार्थियों को राकेट के अंतिम चरण में अपने उपकरण जोड़ते हुए अंतरिक्ष में कई प्रेरक परीक्षण करने में सहायक होगी”।

उन्‍होंने कलामसैट-वी2 के दल को उपग्रह का निर्माण बहुत प्रवीणता के साथ करने पर बधाई दी और कहा, “हमें विज्ञानोन्‍मुख भारत का निर्माण करने की दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए। इसरो भारत-भर के विद्यार्थियों के लिए खुला है। हम चाहते हैं कि विद्यार्थी अपने उपग्रह हमारे पास लाएँ और हम उन्‍हें प्रमोचित करें। युवा वैज्ञानिक भावी भारत बनाएँगे”। उन्‍होंने कलामसैट-वी2 के दल का परिचय भी कराया ।

मिशन के निदेशक आर.हट्टन्‍ ने इस प्रमोचन को सफल बनाने में किए गए अथक प्रयास के लिए पी.एस.एल.वी.-सी44 के समूचे दल का आभार व्‍यक्‍त किया ।

इससे पूर्व, 24 जनवरी, 2019 को, डॉ. शिवन ने श्रीहरिकोटा में विद्यार्थियों के साथ संवाद (एस.डब्‍ल्‍यु.एस.) के तीसरे दौर का आयोजन किया । क्षेत्र के विद्यालयों के लगभग 300 विद्यार्थियों को उनके साथ बात-चीत करने का अवसर मिला ।

‘विद्यार्थियों के साथ संवाद’ इसरो का हाल ही में शुरू किया गया आउटरीच कार्य है, जिसे युवाओं में वैज्ञानिक प्रवृत्ति बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है । इसका पहला दौर बेंगलूर में 01 जनवरी, 2019 को और दूसरा 20 जनवरी, 2019 को कोच्‍ची में आयोजित किया गया ।

डॉ. शिवन ने ‘विद्यार्थियों के साथ संवाद’ के प्रतिभागियों से कहा, “पूर्ण ईमानदारी के साथ वर्तमान पर केंद्रित रहें। दुविधा की स्थिति मिट जाएगी। एक अच्‍छा विद्यार्थी असफलता से नहीं डरता। असफलता तो अनुभव के लिए आवश्‍यक है क्‍योंकि यह नए द्वार खोलती है।” ।

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